एक सुन्दरी मेरे जीवन मे (भाग-दो)
आमतौर पर करण तोते पाले जाते है। वे बडे होते है और पीढियो से उन्हे पाला जा रहा है इसलिये उनकी भोजन सम्बन्धी आवश्यकत्ता की जानकारी आसानी से मिल जाती है पर सुन्दरी के मामले मे बडी दिक्कत का सामना करना पडा। सुन्दरी को क्या खिलाया जाये इसकी खोज मे इंटरनेट खंगाल डाला पर ज्यादा जानकारी नही मिली। पहले तो सेव और संतरे खिलाये गये। सेव का गूदा न खाकर उसने बीज मे रुचि दिखायी। संतरा उसे अधिक पसन्द नही आया। मिर्च आमतौर पर तोते पसंन्द करते है। मिर्च सुंन्दरी की भी पहली पसंद है। पर बीज अधिक होने चाहिये। दाल-चावल सुन्दरी को अधिक पसन्द नही आता है। बचपन मे चने की दाल को भिगोकर फिर पीसकर उसे खिलाया गया। यह पीसी दाल उसे बहुत पसन्द आती थी। दाल पीसने की आवाज होते ही वह चहकने लगती थी।
भोजन की समस्या उस समय हल हुयी जब गाँव से कुछ लोग आये। सुन्दरी को देखते ही बोले कि ये तो शैतान तोता है। हमारी फसल बर्बाद कर देता है। मक्के मे दाने पडे नही कि इनका आक्रमण शुरु हो जाता है। रात को भी ये फसल पर आक्रमण करते है। हमने उनकी बाकी बाते अनसुनी की और मक्के के नये दूध भरे दाने सुन्दरी को दिये। उसने बडे चाव से इसे खाया। फिर पता चला कि पीपल और बरगद के फलो को फैलाने मे भी इनकी भूमिका है। दोनो ही फल गाँव मे मिल जाते है। तुअर की फली और दाने भी इसे पसन्द आये। दाल-चावल की जगह दूध-चावल दिया गया। फिर अंजीर भी सूची मे शामिल हो गयी। सुन्दरी बहुत कम खाती है और उसे जल्दी-जल्दी भूख लगती है। अकेली है इसलिये नाज-नखरो से पली है। एक बार खाने के बाद जब तक बर्तन न बदलो किसी भी चीज को नही खाती है। हम तो सोचते थे कि मनुष्यो के ही नखरे होते है पर सुन्दरी ने भ्रम दूर कर दिया।
लोगो ने सलाह दी कि तोते को मीठा खिलाने से बाल झड जाते है। पहले तो हम डरे पर बाद मे उसे मिठाईयाँ मिलने लगी। आज ही मै उसके बाल देख रहा था। गर्मी बढ रही है। हम चाहते है कि बाल झडे ताकि उसे कम गर्मी लगे पर बाल साल भर वैसे ही रहते है। ये बाल भले गर्मी के लिहाज से ठीक न हो पर सुन्दरी को मच्छरो से बचाते है। शक्कर सुन्दरी की पसन्दीदा चीजो मे से एक है। किसी भी भोज्य पदार्थ मे ऊपर से शक्कर डालकर उसे दिया जा सकता है। नमक की भी शौकीन है पर नमक कम ही दिया जाता है उसे।
इंटरनेट पर इस प्रजाति के तोतो के विषय मे कम जानकारी को देखते हुये मैने हिम्मत करके एक शोध आलेख लिखा सुन्दरी को नजर मे रखकर और चित्रो के साथ उसे प्रकाशित किया। इसके बाद मुझे इस प्रजाति का विशेषज्ञ माना जाने लगा। इस प्रतिक्रिया ने मुझे प्रेरित किया कि मै जंगलो मे भ्रमण के दौरान इस प्रजाति के तोतो पर नजर रखूँ। कुछ ही समय मे नयी जानकारियाँ मिलने लगी और वैज्ञानिक दस्तावेज तैयार होने लगे। इन जानकारियो से सुन्दरी के पालन-पोषण मे बहुत मदद मिली।
3 comments:
वाकई हम इंसान अपनी पसंद नापसंद का सोचते है।
कोई भी pet जब हम पालते है तब पता चलता है उसकी पसंद नापसंद का।
और ये pet बिल्कुल बच्चे सरीखे होते है।
सच में - एक तोता पालना चाहिये।
पंक्ज जी यहा मेरे पास दो पक्षी हे तोतो से मिलते जुलते बेलेनसीटी यह अस्ट्रेलियन हे, हमारे घर पर ५, ६ साल के हे, बोलते नही बाकी सारी बात समझते हे ओर अपनी तरफ़ से जबाब भी देते हे, बिलकुल बच्चो की तरह से , ओर हम से शारार्ते भी करते हे, कभी इन का चित्र दुगा अपने ब्लोग पर, आप की सुन्दरी को देखा बहुत सुन्दर हे धन्यवाद
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