कैरी के घर मे आने के बाद सबसे पहले तो डॉक्टर की खोज शुरू हुई क्यूंकि फातिमा फर्नांडिस ने उस समय तक कैरी को कोई भी वैक्सीन नही लगवाया था।अब इस अनजानी जगह मे किस्से पूछते सो फातिमा को ही फ़ोन किया और उनसे डॉक्टर का फ़ोन नम्बर लिया और उसे घर पर ही आने के लिए कहा क्यूंकि कैरी को हॉस्पिटल ले जाने मे डर लगता था की पता नही वहां रुकेगा भी या नही।
कैरी की सबसे पहली ट्रेनिंग खाने की शुरू की गई जिससे उसे समय पर खाना खाने की आदत रहे।खाने के लिए फातिमा ने बताया था की इसे दूध, सेरेलक ,खिचड़ी मीट,वगैरा देती थी सो हमने भी वही सब देना शुरू किया।धीरे-धीरे खाने मे बदलाव आता गया अंडा,चिकेन ,रोटी ,सब्जी ,दही वगैरा भी देना शुरू किया। हम कैरी को सिर्फ़ मांसाहारी खाने पर नही रखना चाहते थे ।क्यूंकि हमने सुना है की सिर्फ़ मांसहारी खाना खाने से doggi ज्यादा वोइलेंट होते है।
और फ़िर शुरू हुई ट्रेनिंग बिस्तर पर और ड्राइंग रूम मे सोफे पर ना चढ़ने की क्यूंकि हमे कैरी से प्यार तो था पर उसका बिस्तर पर चढ़ना गवारा नही था। हाँ बेटों के रूम और बिस्तर पर कैरी अपना पूरा अधिकार समझता है।पर कैरी ना तो हमारे कमरे मे आता था और ना ही बिस्तर पर चढ़ता था।बस हमारे कमरे के दरवाजे पर ही बैठ जाता था।
और अब आई असली ट्रेनिंग की बारी यानी walk करने की ।शुरू मे घर मे walk कराया गया तो लीश पर चलता ही नही था । जहाँ लीश बांधते की वो उछलने लगता था । खैर रोज शाम को आधे घंटे का ट्रेनिंग कार्यक्रम चलता रहा और थोड़े दिन उसने ठीक से walk करना सीख लिया। कैरी ने जब ठीक से लीश पर चलना शुरू किया तो घर के पास थोड़ा थोड़ा walk के लिए बाहर निकलना शुरू किया। और फ़िर रोज शाम को walk के लिए घर से बाहर निकलना शुरू किया।पहले तो हमने कह दिया था की हम कैरी को टहलाने नही जाया करेंगे पर बाद मे हम और पतिदेव ही कैरी को walk के लिए ले जाने लगे। इसे लेकर जब हम लोग बाहर निकलते थे तो ऐसा लगता था मानो सारे शहर के doggi इसके पीछे पड़ गए हो।और कैरी बेचारा डर के मारे वापिस घर की ओर भागने लगता था। और कैरी से ज्यादा हमे डर लगता की अगर कहीं सब doggi ने अटैक कर दिया तो हम किसको बचायेंगे । पर जल्द ही ये डर ख़त्म हो गया क्यूंकि जब रोज-रोज walk के लिए जाने लगे तो सब कैरी को पहचानने लगे थे ।
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1 comment:
चलिये अब मन बनने लगा है कि एक डागी भी पाले।
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