Monday, March 31, 2008

मिलिये हमारी सिन्ड्रेला से

आइए हम आपको मिलवाते है अपनी सिंड्रेला से, ये लेख कुछ साल पुराना है, लेकिन इस ब्लॉग के एकदम उपयुक्त दिखा, इसलिए दोबारा पब्लिश कर रहे है। क्योंकि पुरानी पोस्ट को कई नए चिट्ठाकारों ने नही पढा होगा।



Cyndrella



अब जब अतुल भाई ने कुत्तों का जिक्र छेड़ा है तो हम भी अपनी सिन्ड्रेला से आपको मिलवा दें. हमारी सिन्ड्रेला बहुत सुन्दर है और हमारे घर की सदस्य की तरह है. सिन्ड्रेला आजकल आई आई टी रूड़की मे है, नही भई कोई शोध वगैरहा नही कर रही...बल्कि हमारी साली साहिबा के घर पर पर विराजमान है.

श्वानो से मेरा प्रेम बहुत पुराना रहा है, हमारी पहली पैट थी जिनी, जो अब इस दुनिया मे नही रही, जिनी से हमारा प्यार इस हद तक था कि हम उसे अपने बच्चे की तरह प्यार करते थे, और हम पति पत्नी ने अपने अपने नाम का पहला अक्षर मिलाकर उसका नाम रखा था, यानि कि जितेन्द्र और नीरू( मेरी पत्नी रितु का शादी के पहले का नाम) यानि कि जिनी.

अब सिन्डी उर्फ सिन्ड्रेला की कहानी भी सुन लीजिये, ये है 95% पूडल और 5% पामेरियन प्रजाति की. बहुत नखरे वाली है, बहुत ज्यादा मूडी है, टाम मूडी से भी ज्यादा ,नहाने के नाम पर तो इनको सांप सूंघ जाता है, इनको जैसे ही पता चलता है कि नहाने का समय हो गया है, फिर तो ये ऐसे गायब होती है, जैसे गधे के सर से सींग. इनको लाँन मे टहलना पसन्द है और चोरी चोरी छिप छिप कर किचेन गार्डन से भिन्डियाँ तोड़कर खाना ज्यादा पसन्द है. अब लाँन मे टहलने की वजह से इनके चेहरे की ये हालत होती है तो इनकी हड़काई होनी लाजिम है.

Cyndrella



इनको डर लगता है तो सिर्फ साँप से, बाकियों को ये दौड़ा मारती है. हाँ खाना खाते वक्त यदि आपने अपने हाथ से नही खिलाया तो ये नाराज भी हो जाती है, फिर मनाते रहिये, घन्टों........बच्चों से इनको विशेष प्रेम है, इसी प्रेम के चलते एक बार अपनी टाँगे तुड़वा चुकी है, बच्चों ने इनको एक ऊँची टेबिल से जम्प करवा दिया था, और प्रेम के चलते ये ना नही कर सकी....खैर अब ये कुछ ज्यादा समझदार हो गयी है, शरारती बच्चों से दूर ही रहती है.

अगले कुछ लेखों मे बात करेंगे मेरे श्वानो के प्रेम की, और मेरी पहली श्वान जिनी की, जिसकी याद आते ही आज भी मेरी आँखों मे आंसू आ जाते है।

4 comments:

Udan Tashtari said...

घर के सदस्य हो जाते हैं ये...मुझे आभास है. सिन्डी उर्फ सिन्ड्रेला के बारे में जानना रोचक रहा.

Pankaj Oudhia said...

सिंड्रेला से परिचय कराने के लिये धन्यवाद। वैसे पहले चित्र मे जो फूल वाला पौधा दिख रहा है वह विनका ही है शायद। इसे सदाफूली या सदाबहार भी कहते है। यदि डागी को जड खोदकर खाने की आदत है तो फिर इस पौधे को बागीचे मे न लगाये। जड नुकसान पहुँचा सकती है।

mamta said...

सिन्ड्रेला से मुलाकात अच्छी लगी।

Ila's world, in and out said...

जितेन्द्रजी, हमने भी अभी पिछले अक्तूबर में अपनी पहली् लैब्रैडोर वैलेन्टाइन को खोया है.उसका जिक्र मैने अपनी सबसे पहली पोस्ट में किया है.आपसे जिनी का जुडाव मैं दिल से महसूस कर सकती हूं.सिन्ड्रेलाजी बहुत ही प्यारी हैं, भगवान उनको लम्बी उमर दे.