सुन्दरी की बिदाई----
रात को सुन्दरी पर लेख लिखने के बाद सुबह पाँच बजे सोया ही था कि मुझे जगाकर बताया गया कि आम के पेड पर तोतो का एक झुण्ड आया है। कैमरा लेकर मै पहुँचा तो लगा जैसे दसो सुन्दरियाँ आम की शाखाओ पर विराजमान है। अचानक मन मे ख्याल आया कि इनसे सुन्दरी को मिलवाया जाये। सुन्दरी को उनके पास लाया गया। आशा के विपरीत जल्दी ही वे आपस मे घुल-मिल गये। सब ने कहा कि लगता है सुन्दरी को अपनाने वाले मिल गये। दिल पर पत्थर रखकर उसे आखिर विदा कर ही दिया। कई घंटो तक वह खुशी-खुशी पेड पर बैठी रही। हमने उसके पंख नही काटे थे और कमरे मे उसे उडने का अभ्यास कराते रहे थे। यही काम आया और कुछ घंटो पहले उसने ऐसी उडान भरी कि पलक झपकते ही नजरो से ओझल हो गयी। सब कुछ जैसे थम सा गया। केवल आँसू ही नही थम रहे-------
4 comments:
आंसुओं को थामिये और सुंदरी की मधुर यादों में खो जाइए... सुंदरी का आनंद उसकी खुशी पिंजरे में बंद रह कर कहाँ मिल पाती उसे भला.
समझ सकता हूँ और महसूस कर सकता हूँ आपका दर्द..मैं अपनी चिड़िया ऐना का जाना आज तक नहीं भूला पाया हूँ..कभी पढ़ियेगा:
http://udantashtari.blogspot.com/2006/12/blog-post_29.html
इतना अप्रत्याशित !
ये तो आपने बहुत ही नेक काम किया है।
भले ही सुंदरी चली गई हो पर यादों मे तो वो हमेशा ही रहेगी।
हमने अपने तीसरे तोते मगन लाल को इसी तरह विदा किया था,आज भी उसको याद करके दिल उदास हो जाता है.
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