जानवर इंसानों से ज्यादा भावुक होते है।ये जरुर है की ये बेजुबान बोल तो नही सकते है पर फ़िर भी इनकी आंखों और इनके हाव-भाव से इनके दुखी होने का पता चल ही जाता है। यूं तो कैरी शक्ल से भी थोड़े दुखी राम (पर घर आने वाले दूसरे लोगों को डरावने) लगते है पर आजकल हमारा कैरी भी ऐसे ही दुःख मे है। कल हमारा बड़ा बेटा दिल्ली चला गया और उसके जाने के बाद से ही कैरी बिल्कुल चुप -चुप सा हो गया है। बस हर समय हम लोगों के आस-पास ही बैठा रहता है ।एक अजीब सा सूना पन उसकी आंखों मे दिख रहा है ।
कैरी जो हमारे बेटे को बिल्कुल अपने बराबर समझता है । उससे बिल्कुल बराबरी से खेलना ,फ़ुटबॉल के लिए झपटना और यहां तक की कार मे बैठने मे भी पूरी सीट पर कैरी अपना ही कब्जा चाहते है।
जब भी कोई कहीं जाने के लिए अटैची या बैग निकालता है तो कैरी समझ जाते है की कोई घर से बाहर जा रहा है । और कैरी सामान के आस-पास मंडराने लगते है। और एक दिन पहले से कैरी की आँखें एहसास हो गया था की बेटा कहीं जाने वाला है क्यूंकि जब परसों बेटा पैकिंग कर रहा था तो कैरी को एहसास हो गया था की वो बाहर जाने वाला है।
सुबह जब एअरपोर्ट जाने के लिए निकले तो कैरी ने एक बड़ी ही दुःख भरी नजर से बेटे को देखा । बेटे ने उसे बिस्कुट दिया तोआम तौर पर जब हम लोग दरवाजा लॉक करने लगते है तो कैरी दरवाजे से बाहर निकलने की कोशिश करता है पर कल वहीं बिस्कुट के पास बैठ गया था। और जब हम और पतिदेव एअरपोर्ट से लौट कर आए तो कैरी की आँखें बेटे को ढूंढ रही थी।
वाकई हम इंसान सोचते है की ये तो जानवर है इन्हे भला किसी के आने या जाने से क्या फर्क पड़ता है। पर ऐसा बिल्कुल नही है। इन्हे भी फर्क पड़ता है।
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3 comments:
वाकई हम इंसान सोचते है की ये तो जानवर है इन्हे भला किसी के आने या जाने से क्या फर्क पड़ता है। पर ऐसा बिल्कुल नही है।
ममता जी, आप ने सच लिखा हे, हमारे जहा भी एक केरी अरे नही एक हेरी हे,इस अकतुबर मे ६ साल को हो जाये गा, बाकी सारी आप के लेख वाली बाते हे, ओर हा यह बच्चो की तरह से मेरे से तो डरता हे लेकिन मेरी बीबी से नही,सब से ज्यादा प्यार भी मुझ से ही करता हे
ममताजी,ये बात वो ही लोग समझ सकते हैं जिनके यहां पेट्स घर के सदस्यों की तरह रखे जाते हैं.
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